टूटे हुए काँच की तरह चकना-चूर हो गया हूँ किसी को चुभ न जाऊँ इसलिए सबसे दूर हो गया हूँ।
जो दो लफ्जों की हिफाजत न कर पाए उनके हाथों में जिंदगी की किताब क्या देता।
जब्त कहता है खामोशी से बसर हो जाये दर्द की ज़िद है कि दुनिया को खबर हो जाये।
लोग तो अपना बना कर छोड़ देते हैं कितनी आसानी से गैरों से रिश्ता जोड़ लेते हैं हम एक फूल तक ना तोड़ सके कभी कुछ लोग बेरहमी से दिल तोड़ देते हैं।